Wednesday, May 11, 2011

उपहार


सोचा था उपहार में
लिख के तुमहे
एक कविता दूँ
पर तुम इतनी 
सीमित तो नहीं
की तुमहे शब्दों में बाँध दूँ 
सागर को मैं
क्यूँ नापूं 
नभ को क्यूँ
छूना चाहूँ
अथाह स्नेह है तुम्हारा
जिसमें  डूबा रहना चाहूँ !!!    

Wednesday, April 20, 2011

Straight from the heart

मैं हूँ तट की रेट मीत रे 
तू नदिया की चंचल धारा
रहा समीप युगों से तेरे 
फिर भी प्यासा हृदय हमारा 
कितना मैं लाचार रहा हूँ
तुमको अब तक ना छू पाया
तू सूर्य की किरण सुनहरी
मैं संध्या की काल छाया
मैं हूँ तट की रेट मीत रे 
तू नदिया की चंचल धारा
रहा समीप युगों से तेरे 
फिर भी प्यासा हृदय हमारा !!!