मैं हूँ तट की रेट मीत रे
तू नदिया की चंचल धारा
रहा समीप युगों से तेरे
फिर भी प्यासा हृदय हमारा
कितना मैं लाचार रहा हूँ
तुमको अब तक ना छू पाया
तू सूर्य की किरण सुनहरी
मैं संध्या की काल छाया
मैं हूँ तट की रेट मीत रे
तू नदिया की चंचल धारा
रहा समीप युगों से तेरे
फिर भी प्यासा हृदय हमारा !!!
Lovely!
ReplyDeletehii
ReplyDeleteacchi hai yaar!
seriously nice :)
my fav lines
तू सूर्य की किरण सुनहरी
मैं संध्या की काल छाया
keep writing :D