मैं हूँ तट की रेट मीत रे
तू नदिया की चंचल धारा
रहा समीप युगों से तेरे
फिर भी प्यासा हृदय हमारा
कितना मैं लाचार रहा हूँ
तुमको अब तक ना छू पाया
तू सूर्य की किरण सुनहरी
मैं संध्या की काल छाया
मैं हूँ तट की रेट मीत रे
तू नदिया की चंचल धारा
रहा समीप युगों से तेरे
फिर भी प्यासा हृदय हमारा !!!