Wednesday, May 11, 2011

उपहार


सोचा था उपहार में
लिख के तुमहे
एक कविता दूँ
पर तुम इतनी 
सीमित तो नहीं
की तुमहे शब्दों में बाँध दूँ 
सागर को मैं
क्यूँ नापूं 
नभ को क्यूँ
छूना चाहूँ
अथाह स्नेह है तुम्हारा
जिसमें  डूबा रहना चाहूँ !!!    

3 comments:

  1. I love the picture because we, here in Pakistan, love mehndi a lot. Wish I could read the accompanying text too.

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